क्या लॉक डाउन काफी है और काफी है तो कब तक? आज विश्व की ये हालत देखके बहुत दुःख होता है।
कल यानि 11 अप्रैल 2020 को पूरे विश्व में 6095 लोगों की कोरोना वायरस के चलते मृत्यु हो गयी लेकिन पड़ोस के बेफिक्रे नौजवान युवक पुलिस के एक नाके को पार करने में अपनी सफलता मानते हैं। हमारी शिक्षा का आधार न जाने कहाँ शिफ्ट हो गया है। एक देश का प्रधान मंत्री बहुत ही साधारण शब्दों में छोटी सी अपील करता है कि इस संकट के क्षणों में लॉक डाउन का पालन करो। अपने घर रहो। हमसे इतना भी नहीं होता। चीन अपने वहां कोरोना को कथित रूप से फैलाकर रोक लेता है और हम तारीफ के पुल बांध देते हैं ?
भारत के सामने सिर्फ कोरोना एक समस्या नहीं है। उसके सामने इससे भी बड़ी समस्या है हमारे कुछ लोगों की सोच बहुत ही छोटी है। कुछ लोग यहाँ सरकारी नियमो और निर्देशों को तोडना अपना अधिकार समझते हैं। किसी को अपनी राजनीती चमकानी है। किसी को लॉक डाउन की घोषना के बाद भी धार्मिक कार्यक्रम के लिए हजारो लोग इकट्ठे करने है। किसी को छुट्टियां मनानी हैं। किसी को जन्मदिन मनाना होता है सैकड़ो लोगो को बुलाकर। सच तो यह है कि कुछ लोग हमारे यहाँ तब तक ये लापरवाही करते रहते हैं जब तक समस्या गले में न पहुंच जाये। एक डॉक्टर जो अपनी जान जोखिम में डालकर पूरे दिन रात लोगो का इलाज करने में लगा हुआ है उसके साथ बदसलूकी करते है। कुछ लोग जुलूस निकालते हैं ? और हा जानबूझ के कुछ लोग बीमारी होने के बावजूद पुरे देश में फैले उनके लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं।
मैं उनलोगो को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ जिन्होंने अपने आपको इस स्थिति में सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए घर रखा। एक देश की मदद करने के लिए हमेशा सेना में या किसी सरकारी पद पर रहने की जरुरत नहीं है। इस स्थिति में आप अपने घर में रहकर भी भारत के संभावित लाखो रूपये बचाने के साथ साथ अपने परिवार और अपने मित्रो की जिंदगी को सुरक्षित रख रहे हैं। और इस समय यह ही सबसे बड़ी सेवा है। इसके लिए में इस वर्ग के सभी व्यक्तियों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।
भारत की जितनी आबादी है यदि लॉक डाउन न हुआ होता तो हमारे यहाँ भी अब तक लाखो लोग इस बीमारी मैं फ़स चुके होते। भारत में इस समय लगभग 7200 लोग कोरोना से संक्रमित हैं। अमेरिका में ये संख्या लगभग पांच लाख के पास है। ये चयन का विषय होता है कि आप अर्थव्यवस्था को चुने या जीवन को। लॉक डाउन हलवा नहीं है। कुछ लोग बड़े ख़ुशी से लॉक डाउन को बढ़ाने की शिफारिश कर रहे हैं। लेकिन सच तो यह है कि यदि हम इस तरह ही लॉक डाउन बढ़ाते रहेंगे तो पहाड़ से गिरके खजूर में अटकेंगे। यदि कुछ लापरवाही जो हमने किसी भी फायदे के लिए की हैं यदि न हुई होती तो शायद हमारा 21 दिनों का लॉक डाउन भी उद्देश्य को पूरा कर देता। लॉक डाउन का अच्छे से पालन करना होगा अन्यथा अगले 15 दिन के लॉक डाउन के बाद भी हम ऐसी ही'स्थिति में रहने वाले है।
हमें बीच का रास्ता अपना लेना चाहिए ये मेरा मानना है। ये कठिन रास्ता है लेकिन राष्ट्रीय स्तर का लॉक डाउन यदि मई में भी रखना पड़ा तो देश आर्थिक स्थिति में इतना कमजोर हो जायेगा कि कुछ लोगों का कोरोना के बाद बचे रहना मुश्किल हो जायेगा। लॉक डाउन का फैसला इतना आसान नहीं पड़ता जितना सरल वो वर्तमान में दिख रहा है। अभी एक दो दिन में नए दिशा निर्देश आएंगे। हमारा पास एक ही विकल्प है कि उन दिशा निर्देशों का पालन करें. यदि ऐसा नहीं किया तो कोरोना आपका स्टेटस नहीं देखता। चपेट में आ गए तो पूरे परिवार के साथ न जाने कितने लोगों की जान जोखिम में पड़ जाएगी। कृपया सोचें और सुरक्षित रहें और सुरक्षित रखें।
जो लोग कोरोना के समय में सेवाएं दे रहे हैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद। लॉक डाउन बहुत ही अच्छा तरीका है लेकिन इसे और अधिक लम्बे समय तक चलाये जाने से देश को और हम सबको बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है। ये आने वाले महीनो में समझ आएगा। अगर हम लॉक डाउन का अच्छे तरह से पालन करेंगे तो कोरोना से तो बचेंगे ही साथ ही साथ हमारी अर्थव्यवस्था जल्दी ट्रैक पर आएगी। हम शायद आंशिक रूप से लॉक डाउन को खोलकर उत्पादन शुरू कर पाएंगे।
अंत में इतना ही कहूंगा की वो बुलाती है मगर जाने का नहीं। और हाँ ये वो चाहे कोई भी क्यों न हो जिंदगी मजाक नहीं है। यदि कोई आपात स्थिति नहीं है तो घर से कृपया ना निकलें । पहली बार कोई आप से कुछ नहीं करने को कह रहा है। घर पर रहो और सुरक्षित रहो।
आनंद विहार दिल्ली बस स्टैंड पर हुई भीड़। क्या सबको अचानक गांव के घर पहुँचने की जरुरत थी ? |
मैं उनलोगो को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ जिन्होंने अपने आपको इस स्थिति में सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए घर रखा। एक देश की मदद करने के लिए हमेशा सेना में या किसी सरकारी पद पर रहने की जरुरत नहीं है। इस स्थिति में आप अपने घर में रहकर भी भारत के संभावित लाखो रूपये बचाने के साथ साथ अपने परिवार और अपने मित्रो की जिंदगी को सुरक्षित रख रहे हैं। और इस समय यह ही सबसे बड़ी सेवा है। इसके लिए में इस वर्ग के सभी व्यक्तियों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।
भारत की जितनी आबादी है यदि लॉक डाउन न हुआ होता तो हमारे यहाँ भी अब तक लाखो लोग इस बीमारी मैं फ़स चुके होते। भारत में इस समय लगभग 7200 लोग कोरोना से संक्रमित हैं। अमेरिका में ये संख्या लगभग पांच लाख के पास है। ये चयन का विषय होता है कि आप अर्थव्यवस्था को चुने या जीवन को। लॉक डाउन हलवा नहीं है। कुछ लोग बड़े ख़ुशी से लॉक डाउन को बढ़ाने की शिफारिश कर रहे हैं। लेकिन सच तो यह है कि यदि हम इस तरह ही लॉक डाउन बढ़ाते रहेंगे तो पहाड़ से गिरके खजूर में अटकेंगे। यदि कुछ लापरवाही जो हमने किसी भी फायदे के लिए की हैं यदि न हुई होती तो शायद हमारा 21 दिनों का लॉक डाउन भी उद्देश्य को पूरा कर देता। लॉक डाउन का अच्छे से पालन करना होगा अन्यथा अगले 15 दिन के लॉक डाउन के बाद भी हम ऐसी ही'स्थिति में रहने वाले है।
हमें बीच का रास्ता अपना लेना चाहिए ये मेरा मानना है। ये कठिन रास्ता है लेकिन राष्ट्रीय स्तर का लॉक डाउन यदि मई में भी रखना पड़ा तो देश आर्थिक स्थिति में इतना कमजोर हो जायेगा कि कुछ लोगों का कोरोना के बाद बचे रहना मुश्किल हो जायेगा। लॉक डाउन का फैसला इतना आसान नहीं पड़ता जितना सरल वो वर्तमान में दिख रहा है। अभी एक दो दिन में नए दिशा निर्देश आएंगे। हमारा पास एक ही विकल्प है कि उन दिशा निर्देशों का पालन करें. यदि ऐसा नहीं किया तो कोरोना आपका स्टेटस नहीं देखता। चपेट में आ गए तो पूरे परिवार के साथ न जाने कितने लोगों की जान जोखिम में पड़ जाएगी। कृपया सोचें और सुरक्षित रहें और सुरक्षित रखें।
जो लोग कोरोना के समय में सेवाएं दे रहे हैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद। लॉक डाउन बहुत ही अच्छा तरीका है लेकिन इसे और अधिक लम्बे समय तक चलाये जाने से देश को और हम सबको बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है। ये आने वाले महीनो में समझ आएगा। अगर हम लॉक डाउन का अच्छे तरह से पालन करेंगे तो कोरोना से तो बचेंगे ही साथ ही साथ हमारी अर्थव्यवस्था जल्दी ट्रैक पर आएगी। हम शायद आंशिक रूप से लॉक डाउन को खोलकर उत्पादन शुरू कर पाएंगे।
अंत में इतना ही कहूंगा की वो बुलाती है मगर जाने का नहीं। और हाँ ये वो चाहे कोई भी क्यों न हो जिंदगी मजाक नहीं है। यदि कोई आपात स्थिति नहीं है तो घर से कृपया ना निकलें । पहली बार कोई आप से कुछ नहीं करने को कह रहा है। घर पर रहो और सुरक्षित रहो।
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