क्या लॉक डाउन काफी है और काफी है तो कब तक? आज विश्व की ये हालत देखके बहुत दुःख होता है।
कल यानि 11 अप्रैल 2020 को पूरे विश्व में 6095 लोगों की कोरोना वायरस के चलते मृत्यु हो गयी लेकिन पड़ोस के बेफिक्रे नौजवान युवक पुलिस के एक नाके को पार करने में अपनी सफलता मानते हैं। हमारी शिक्षा का आधार न जाने कहाँ शिफ्ट हो गया है। एक देश का प्रधान मंत्री बहुत ही साधारण शब्दों में छोटी सी अपील करता है कि इस संकट के क्षणों में लॉक डाउन का पालन करो। अपने घर रहो। हमसे इतना भी नहीं होता। चीन अपने वहां कोरोना को कथित रूप से फैलाकर रोक लेता है और हम तारीफ के पुल बांध देते हैं ? आनंद विहार दिल्ली बस स्टैंड पर हुई भीड़। क्या सबको अचानक गांव के घर पहुँचने की जरुरत थी ? भारत के सामने सिर्फ कोरोना एक समस्या नहीं है। उसके सामने इससे भी बड़ी समस्या है हमारे कुछ लोगों की सोच बहुत ही छोटी है। कुछ लोग यहाँ सरकारी नियमो और निर्देशों को तोडना अपना अधिकार समझते हैं। किसी को अपनी राजनीती चमकानी है। किसी को लॉक डाउन की घोषना के बाद भी धार्मिक कार्यक्रम के लिए हजारो लोग इकट्ठे करने है। किसी को छुट्टियां मनानी हैं। किसी को जन्मदिन मनाना होता है सैकड़ो लोगो को बुलाकर। सच तो यह है कि कुछ लोग हमारे यहाँ तब